
श्री हरिओम तिवारी जी का जन्म 29 अक्टूबर 1987 को श्री धाम अयोध्या जी के खंडासा गांव में कैप्टन श्री राजेश तिवारी जी के घर हुआ था | बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के धनी हरिओम जी ने ददिहाल और ननिहाल से सैनिक पृष्ठभूमि का होने के बाद भी इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त की एवं अपना व्यवसाय स्थापित किया आज इनकी गणना प्रदेश के अग्रणी व्यवसायियों में की जाती है |
बचपन से ही इनकी आस्था प्रभु श्री रामजी के चरणों में थी | व्यवसाय को स्थापित करने के साथ-साथ इन्हों ने देश के कई ख्याति प्राप्त कथा वाचको की कथा का वृहद आयोजन कराया एवं एक समाजसेवी के रूप में निर्धन एवं असहाय लोगों की सेवा का संकल्प लिया | यह क्रम आज भी निर्वाध रूप से चिकित्सकीय सहायता , निर्धन कन्या विवाह, प्राथमिक विद्यालयोंको गोद लेना आदि के रूप में चल रहा है | इनके प्रभु श्री राम के चरणों में अनुराग एवं सेवा भाव को देखते हुए परिचितो , मित्रों एवं परिजनों ने इन्हें "राघवचरणानुरागी" के उपनाम से संबोधित करना प्रारंभ कर दिया |
कालांतर में हरि ओम जी ने अनुभव किया कि हमारे समाज का युवा वर्ग पाश्चात्य संस्कृति की ओर अग्रसर हो रहा है और सनातन संस्कृति और अध्यात्म से दूर होता जा रहा है, इनका ऐसा विश्वास है कि यदि युवा वर्ग सनातन संस्कृति एवं अध्यात्म के सानिध्य में रहे तो वह एक सफलतम व्यक्ति बन सकता है और उन उसका सर्वांगीण विकास हो सकता है तथा वह अपने समाज में एक आदर्श स्थापित कर सकता है |
अतः इन्हों ने संकल्प लिया कि अपने समाज का युवा वर्ग जो पाश्चात्य सभ्यता की ओर उन्मुख हो रहा है उसे सनातन संस्कृति एवं आध्यात्म की ओर अगर अग्रसर करने की दिशा में निःस्वार्थ भाव से सेवा करेंगे | अतएव उसी संकल्प को साकार करने के क्रम में श्री रामचरित मानस के सानिध्य में युवा वर्ग को सनातन परंपरा की मुख्यधारा की ओर ले जाने के सार्थक प्रयास हेतु यह "श्री राम कथा " आयोजित की जा रही है, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि बंधु बांधव सहित पधार कर अपना जीवन कृतार्थ करें और श्री हरिओम तिवारी जी के पवित्र संकल्प को साकार करने हेतु अपना अमूल्य समय देकर सहयोग प्रदान करें |
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